वैद्य राजेश कपूर
वैद्य राजेश कपूर पारंपरिक चिकित्सा, गोविज्ञान तथा पारंपरिक कृषि पद्धति पर अनेक वर्षों से अध्ययन और शोध कार्य कर रहे हैं। इन्होंने पंचगव्य के अनेक शास्त्रीय एवं नए योग बनाए हैं और हजारों गोभक्तों को प्रशिक्षित किया है। इनके शोध पत्र आयुष विभाग (भारत सरकार) व प्रदेश सरकारों द्वारा छापे गए हैं। विज्ञान भवन दिल्ली में भी शोध पत्र प्रस्तुत कर चुके हैं। नवीन पंचगव्य उत्पाद बनाने पर इतना शोधकार्य शायद ही किसी और ने किया होगा। ऊर्जा विज्ञान पर इनकी खोजों के कारण देश ही नहीं नहीं विदेशों में भी इनकी एक पहचान बनी है। सैकड़ों पंचगव्य चिकित्सक अनेक आयुर्वेदिक तथा एलोपैथिक चिकित्सक इनका मार्गदर्शन प्राप्त कर रहे हैं। यह सब सीखने का अवसर आपको कहीं और शायद ही मिले।
*अमर हुतात्मा श्री राजीव दीक्षित जी* के अधूरे अभियान को पूरा करने में वैद्य राजेश कपूर जी का ज्ञान अत्यंत उपयोगी सिद्ध होगा।
वैद्य राजेश कपूर संक्षिप्त कार्य परिचय
- 100 से अधिक वनस्पतियों द्वारा असाध्य रोगों पर सफल प्रयोग।
- अनेक असाध्य रोगों के लिए नवीन योगों का निर्माण।
- स्वदेशी गोवंश की स्वदेशी चिकित्सा पर गहन अनुसंधान।
- अनेक वर्ष पत्रकारिता करते हुए 30 वर्ष “गवाक्ष भारती” नामक मासिक पत्रिका का संचालन तथा हिमाचल के प्रदेश प्रसिद्ध शूलिनी मेले की स्मारिका का संपादन।
- ई-पत्रिकाओं में अनेक लेख प्रकाशित एवं प्रशंसित एवं pravakta.com द्वारा सम्मानित।
- छात्र जीवन के अंतर्गत 1975 में हिमाचल प्रदेश के संस्कृत छात्र संघ का गठन एवं संस्थापक अध्यक्ष के निर्वहन सहित संस्कृत विद्यालयों को महाविद्यालय बनाने के अभूतपूर्व आंदोलन में सफलता पाई।
- आपातकाल में भूमिगत रहकर साहित्य प्रकाशन तथा 9 माह करवास के दौरान मंडी जेल में 19-20 दिन का अनशन किया।
- 1976 से लेकर 1980 तक बिलासपुर हिमाचल प्रदेश में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक के रूप में सेवा करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।
- “भारतीय इतिहास संकलन योजना समिति” तथा “भारत विकास परिषद” के हिमाचल प्रदेश में संस्थापक सदस्य।
- शिमला हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय की भागीदारी में “अंग्रेजों के काल में भारत की शिक्षा एवं जाति व्यवस्था” राष्ट्रीय संगोष्ठी तथा पालमपुर कृषि विश्वविद्यालय एवं गोरक्षा एवं संवर्धन परिषद के साथ गो विज्ञान पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का सफल आयोजन। दीनदयाल विश्वविद्यालय मथुरा के साथ मिलकर भी गो विज्ञान पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का सफल आयोजन।
- जैविक कृषि जैसे महत्वपूर्ण विषय पर कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर एवं औद्योगिकी विश्वविद्यालय नौणी में भी वार्ताएं तथा हरियाणा कृषि विभाग के अधिकारियों को प्रशिक्षण सहित हजारों किसानों के लिए सैकड़ों जैविक कृषि कार्यशालाएं सिखाई।
- 2 विषयों पर पुस्तक लेखन : # गो विज्ञान (गोवंश चिकित्सा, जैविक खेती, पंचगव्य उत्पाद एवं पंचगव्य औषधि निर्माण) एवं # “आधुनिक जीवन शैली के रोग कारण और निवारण” नामक अभूतपूर्व पुस्तक का लेखन